Thursday, October 21, 2010

अब किधर चले ?


जीवन को पढने के लिए ........
रोशनी नहीं , होश चाहिए ॥

दुसरे के जीवन में झाकनें से पूर्व ......
अपनें जीवन की किताब को पढ़ लेना चाहिए ॥

पढनें के लिए लाइब्रेरी जाना जरुरी नहीं .....
अपनें अन्दर जाना जरुरी है ॥

दूसरे आप को अपनाएं .............
पहले दूसरों को आप अपनानें का अभ्यास करें ॥

दूसरों के ऊपर थूकनें से पूर्व ........
अपनें बदन का निरिक्षण कर लेना चाहिए ॥

निराकार को देखनें से पूर्व ........
साकारों को अपनें दिल में बसानें की कोशिश करें ॥

===== छोटी - छोटी बातें .... ======

1 comment:

vandana gupta said...

गज़ब की चिन्तनशक्ति है।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (22/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com