अब किधर चले ?
जीवन को पढने के लिए ........रोशनी नहीं , होश चाहिए ॥ दुसरे के जीवन में झाकनें से पूर्व ......अपनें जीवन की किताब को पढ़ लेना चाहिए ॥ पढनें के लिए लाइब्रेरी जाना जरुरी नहीं .....अपनें अन्दर जाना जरुरी है ॥ दूसरे आप को अपनाएं .............पहले दूसरों को आप अपनानें का अभ्यास करें ॥ दूसरों के ऊपर थूकनें से पूर्व ........अपनें बदन का निरिक्षण कर लेना चाहिए ॥ निराकार को देखनें से पूर्व ........साकारों को अपनें दिल में बसानें की कोशिश करें ॥ ===== छोटी - छोटी बातें .... ======
1 comment:
गज़ब की चिन्तनशक्ति है।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (22/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
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