यह मेरा अपना अनुभव है -------
मेरे दो बेटे हैं : दोनों में दस साल से भी कुछ अधिक का अंतर होगा ।
बड़ा बेटा जब पढ़ लिया और नौकरी में लग गया तब छोटा अभी बहुत छोटा था ।
मेरी उम्र आगे बढ़ रही थी और यही चिंता थी की मेरे बाद इस बच्चे का क्या होगा ?
मैं प्रभु से यही कहा करता ........
हे प्रभु ! इस बच्चे को मैं अपनें बड़े बेटे की तरह अपने पैरों पर खडा देखना चाहता हूँ ,
उसके बाद यहाँ
मृत्यु लोक में मेरा कोई काम नहीं ,
तूं बेशक मुझे अपनें पास बुला लेना ॥
यह बात मैं एक बार रोजाना कहता था और यह बात है भी लगभग तेरह - चौदह साल पहले की ,
उस समय मेरा छोटा बेटा था - पांचवी कक्षा में ॥
अभी - अभी मई में मेरा बेटा इंजीनियरिंग करके एक अच्छी कंपनी में लगा था, शायद दो एक माह का
की तनख्वाह मिली होगी , वह गया था पुणे ट्रेनिंग के लिए और मैं बीमार हो गया , ऐसा बीमार की
हमें पता भी न चला की मैं बीमार हूँ । मेरा बड़ा बेटा चाइना में है और उनदिनों यूरोप टूर पर था ।
घर पर कोई न था , मैं दो दिनों से ब्लॉग भी न लिख पाया था
लेकीन ऐसा नहीं लगता था की मैं बीमार हूँ ॥
मेरी एक मित्र हैं , गीता मोती के ब्लागों को पढती थी , जब दो दिन से ब्लॉग न दिखे तो वे बोली ---
बेटा [ हमारे छोटे बेटे से , जो उन दिनों पुणे में उनके पास ही रुका हुआ था ] !
ज़रा फोन करके अपनें पिताजी का पता तो करो , कहीं वे ....... ॥
जब बेटा विडिओ कान्फेरेंसिंग में मुझे देखा तो रो पडा लेकीन मेरे को तब भी पता न चला की मैं
बीमार हूँ ॥
इन दो दिनों में मैं अपनें को बहुत आनंदित मह्शूश कर रहा था । बेटा भागा - भागा आया और ले गया
पुणे जहां मेरे ब्रेन का दो बार आपरेसन हुआ और अब मैं कुछ - कुछ ठीक हो रहा हूँ ॥
जब गीता पढ़ना था तो पढ़ा नही और अब पढ़ रहाहूं जब की अन्दर इतनी सघन ऊर्जा नहीं रही ॥
लोग कहते हैं -- प्रभु को किसनें देखा , मैं अपनें बेटों और उस महिला के रूप में जिसनें मुझे मृत्यु के
मुख से निकाला , निराकार प्रभु को साकार रूपों में देखा ॥
प्रभु हर वक़्त सब की बातों को सुनता रहता है , यह मेरा अपना अनुभव है ॥
सब के जीवन में मौक़ा मिलता है , निराकार को साकार रूप में देखनें को .....
कोई देख कर भूल जाता है , जैसे मैं , और
कोई इसे अपनें सत मार्ग के रूप में देखता हुआ प्रभु में लीं हो जाता है ॥
===== ऐसा भी घटित होता है =======
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