सडक के किनारे खड़े हो कर भागते हुए लोगों को देखो --------
सब भाग रहे हैं मानो सब को पता है की वक़्त बहुत ही कम है .....
सब के माथे से पसीना चू रहा है , लेकीन कोइफिक्र नहीं ......
आखिर सब की खोज किसकी है ?
एक गोदी के बच्चेको ले कर किसी माल में पहुँचिये तो सही -----
बच्चा पुरे माल को अपनें मुट्ठी में बंद करना चाहता है ........
एक को लेता है , देखता है , कुछ पल के लिए और फेक कर दूसरे को पकड़ लेता है , और ......
यह क्रम चलता रहता है , आप थक जाते हैं , अपनें साथी को बच्चे को पकड़ा कर फटा फट बाहर
निकल कर एक सिगरेट सुलगा लेते हैं , लेकीन -----
कभी यह नहीं सोचते की यह बच्चा ऐसा क्यों कर रहा होता है ?
सिगरेट को माध्यम बना कर कुछ पल काटना , स्वयं को धोखा देना ही है ,
स्थिति में कोई परिवर्तन तो होता नहीं ।
आये दिन बाजार में नए माडल के नए डीजाइन के .......
वस्त्र , ज्वेलरी , जूते , जूतियाँ , मोबाईल , लेपटोप , हैण्ड बैग ,
सब कुछ नए - नए आकार - प्रकार में
आ रहे हैं और जा रहे हैं लेकीन ------
क्या आप तृप्त हैं ?
क्या आप यह कहनें की स्थिति में हैं -----
बश , अब बहुत हो गया , अब और नहीं चाहिए ?
लोग पंथ चलाये हैं की .........
भोगते रहो और होश बनाते रहो , एक दिन निर्वाण मिलही जाएगा - ऐसे लोग
अच्छी भीड़ इकट्ठी कर लेते हैं ,
सभी नवयुवक - नवयुवतियां आकर्षित होती हैं लेकीन होता क्या है ?
आज भोग की रफ़्तार इतनी तेज है की लोग इसमें कही ऐसे खो जा रहे है
जैसे समुन्दर में सरसों का बीज ।
आप भी देखते ही होंगे -----
आज- कल ध्यान के नाम पर बिना टैक्स कितना ब्यापार हो रहा है ?
गोदी में जब हम थे , तब से आज तक संसार के भोग को अपनें मुट्ठी में बंद कर रहे हैं ,
लेकीन ----
क्या कर पाए , हमें स्वयं से पूछना चाहिए ?
भोग से ------
बुद्ध और महाबीर निर्वाण प्राप्त किये ......
भोग से -----
राजा जनक , विदेह कहलाये लेकीन उन लोगों के बाद , कितनें
बुद्ध , महाबीर और जनक बन पाए ?
चालीश वर्ष तक वह ऊर्जा होती है जो ----
प्रभु तक पहुंचा सकती है , बशर्ते इस समय में ,
हमें यह मालूम हो की हमारा रुख किधर को है ।
इस उम्र में यदि बवंडर की तरफ उड़ते रहे तो ,
अंत समय में पछताने के अलावा कुछ न बचेगा ॥
==== कुछ तो सोचो , सुनों =====
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