Monday, October 18, 2010

गंगा की धार ..............


गंगा किधर से किधर को बह रही हैं ?

आप को हसी तो आ ही रही होगी , इस बात को सुन कर की ------
गंगा गंगोत्री से गंगा सागर की ओर बह रही हैं .....
या फिर -----
गंगा सागर से गंगोत्री की ओर ॥

आये दिन अखबारों में पिछले चालीस सालों से देखा जा रहा है की ----------
भारत एक विकासशील देश है .......
यहाँ की डेमोक्रेसी संसार की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है ॥

भारत अविकसित देश से विकासशील देश बना है ....
या फिर .....
विकसित से विकासशील देश बना है ? इस बात पर आप सोचना ।

मानव सभ्यता का इतिहास गवाह है की ------
लगभग इशापुर्व [ हजारों वर्ष ] से भारत में ......
आर्य लोग आये -----
टर्की से लोग आये ----
यूनान से लोग आये ----
पुर्तगाल से लोग यहाँ आये ......
फ्रांस से लोग यहाँ आये ......
चीन से लोग यहाँ आये .....
मंगोल से लोग यहाँ आये .....
कज़किस्थान की ओर से मुग़ल यहाँ आये ......
अंग्रेज लोग यहाँ से आकर्षित हुए .......
आखिर क्यों ?
यदि यह देश अविकसित था तो लोग यहाँ क्या करनें आते थे ?
क्या भिखारी के घर लुटेरे लोग जाते हैं , या फिर साहूकार के घर ?
यदि हम विकसित से विकासशील देश के रहनें वाले हैं तो हमें शर्म आनी चाहिए , और
यदि हम अविकसित से विकासशील देश के रहनें वाले हैं तो हम मुर्ख हैं , क्योंकि -----
ऐसा ठीक वैसा है जैसे कोई कहे ......
गंगा , गंगा सागर से हिमालत की ओर बहती हैं ॥

=== आप की बुद्धि क्या कहती है ? ======

1 comment:

हेमन्त कुमार said...

इसे पढ़ कर भी स्वाभिमान वापस ना आये तो क्या हिन्दुस्तानी कहलाना ठीक है ?